लेखनी कविता - ग़ज़ल हो गई - अल्हड़ बीकानेरी

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ग़ज़ल हो गई / अल्हड़ बीकानेरी लफ़्ज़ तोड़े मरोड़े ग़ज़ल हो गई सर रदीफ़ों के फोड़े ग़ज़ल हो गई लीद करके अदीबों की महफि़ल में कल हिनहिनाए जो घोड़े ग़ज़ल हो ...

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